धनतेरस क्यों मनाते है।
कार्तिक मास की कृष्ण त्रयोदशी को धनतेरस कहते हैं। यह दीपावली से कुछ दिन पूर्व मनाया जाता है। इस दिन नए बर्तन और सोना खरीदना शुभ माना जाता है।
धनतेरस के पीछे की कहानी।
शास्त्रों में वर्णित कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धनवंतरी अपने हाथों से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए। मान्यता है कि भगवान धन्वंतरी विष्णु के अवतार है।संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धन्वंतरी का अवतार लिया था। भगवान धन्वंतरी के प्रकट होने के उपलक्ष में ही धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है।
धनतेरस के दिन क्या करना चाहिए।
धनतेरस के दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार सोना और चांदी एवं अन्य धातु की वस्तु खरीदना शुभ माना जाता है।
धन-संपत्ति की प्राप्ति के लिए कुबेर देवता की पूजा करें।
मान्यताओं के अनुसार मां लक्ष्मी इससे घर में प्रवेश करती हैं लेकिन इसके साथ घर से नकारात्मक शक्तियों का अंत होता है और खुशियों का माहौल आता है।
भगवान शिव से कुबेर को धनपति होने का वरदान प्राप्त है और वे भगवान शिव के परम सेवक भी हैं। भगवान शिव से वरदान प्राप्त होने के कारण पृथ्वी की संपूर्ण धन और संपदा के मालिक हैं। इस कारण से धन त्रयोदशी के दिन विधि विधान से पूजा करके कुबेर को प्रसन्न किया जाता है।
भगवान शिव से कुबेर को धनपति होने का वरदान प्राप्त है और वे भगवान शिव के परम सेवक भी हैं। भगवान शिव से वरदान प्राप्त होने के कारण पृथ्वी की संपूर्ण धन और संपदा के मालिक हैं। इस कारण से धन त्रयोदशी के दिन विधि विधान से पूजा करके कुबेर को प्रसन्न किया जाता है।
कुबेर पूजा को इतना महत्व क्यों दिया जाता है।
धनतेरस को कुबेर की पूजा करने के पीछे एक कारण यह भी है कि कुबरे का धन स्थिर माना जाता है, जबकि माता लक्ष्मी से प्राप्त धन स्थिर नहीं होता है, इसलिए वह चंचला भी कही जाती हैं। कुबेर से प्राप्त धन स्थिर होता है, इसलिए धनतेरस को इनकी पूजा करने से घर धन-धान्य से परिपूर्ण रहता है।
धनतेरस को यमराज के लिए दीपक जलाए।
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को घर से बाहर यम दीपक जलाया जाता है, जो मृत्यु के देवता यमराज को समर्पित होता है। परिवार के सदस्यों को असामयिक मृत्यु से बचाने के लिए ऐसा करते हैं।
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